रविवार, 6 जून 2010

तुम्हारी याद में.........

                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है,
आँखों से आंसू नहीं, लहू अब टपकते है.
दुआ दवा तो हमें असर नहीं करते है,
वो दिन बिछ्ड़ने का जब याद किया करते है.
                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है.
तुम यह न सोंचना की हम तुम्हे भुलाएँगे,
तुम्हे हम कह के कभी बेवफा बुलाएँगे,
हर एक सांस में हम तुमको ही तो पाएँगे,
तुम्हारी यादों को दिल में कहीं सजायेंगे,
तुम्हे अब क्या बताएं कितना याद करते हैं.
                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है.
दिल के दरिया में जब गम के उफान आते है,
वाही आँखों में थोड़े गम को छोड़ जाते है.
ये गम के आंसू लहू बनके जब टपकते है
                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है.
हमारी छोडो और अपना तुम ख़याल करो,
हमारे बारे में न कोई तुम सवाल करो,
हम तो बस अपने में मदमस्त रहा करते है.
                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है.
रहो तुम खुश और वो भी जो तुम्हारा साथी हो,
पर दिल से कहता हूँ बहुत ही याद आती हो,
हम तो बस पागलों की भांति यहाँ फिरते है
                            तुम्हारी याद में तड़प तड़प के मरते है.

                                                                           ****** पिंटू ******