गुरुवार, 30 जून 2011

मांगलिक दोष की भ्रांतियां

भारतीय ज्योतिष में मांगलिक दोष की प्रचलित परिभाषा के अनुसार यह माना जाता है कि अगर मंगल ग्रह किसी कुंडली के 1,2,4,7,8 या 12वें भाव में स्थित हो तो उस कुंडली में मांगलिक दोष बन जाता है जिसके कारण कुंडली धारक की शादी में देरी हो सकती है अथवा/और उसके वैवाहिक जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं एवम बाधाएं आ सकती हैं तथा बहुत बुरी हालत में कुंडली धारक के पति या पत्नि की मृत्यु भी हो सकती है। इस गणना के लिए लग्न भाव को पहला भाव माना जाता है तथा वहां से आगे 12 भाव निश्चित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति का लग्न मेष है तो मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक तथा मीन राशि में स्थित होने पर मंगल ग्रह उस व्यक्ति की कुंडली में क्रमश: 1,2,4,7,8 तथा 12वें भाव में आएगा और प्रचलित परिभाषा के अनुसार उस व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष बन जाएगा। मांगलिक दोष वाले व्यक्तियों को साधारण भाषा में मांगलिक कहा जाता है।

                                                          इस परिभाषा के आधार पर ही अगर मांगलिक दोष बनता हो तो दुनिया में 50 प्रतिशत लोग मांगलिक होंगे क्योंकि कुंडली में कुल 12 ही भाव होते हैं तथा उनमें से उपर बताए गए 6 भावों में मंगल के स्थित होने की संभावना 50 प्रतिशत बनती है। तो इस परिभाषा के अनुसार दुनिया में आधे लोगों के विवाह होने में तथा वैवाहिक जीवन में गंभीर समस्याएं होनी चाहिएं जिनमे तलाक और वैध्वय जैसी स्थितियां भी शामिल हैं। इस दोष के अतिरिक्त पित्र दोष, काल सर्प दोष, नाड़ी दोष, भकूट दोष जैसे कई दोष किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा करने में सक्षम हैं। इन सारी गणनाओं को अगर जोड़ दिया जाए तो दुनिया में कम से कम 80-90 प्रतिशत लोगों के वैवाहिक जीवन में गंभीर समस्याएं हैं जो कि न तो तर्कसंगत लगता है और न ही व्यवहारिक रूप से देखने में आता है। तो इस चर्चा का सार यह निकलता है कि मांगलिक दोष असल व्यवहार में उतनी कुंडलियों में देखने में नहीं आता जितना इसकी प्रचलित परिभाषा के अनुसार बताया जाता है। आइए अब देखें कि कुंडली के 1,2,4,7,8 तथा 12वें भाव में स्थित होने पर मंगल ग्रह क्या क्या संभावनाएं बना सकता है।

                                                         मंगल का कुंडली में उपर बताये 6 भावों में स्थित होना अपने आप में मांगलिक दोष बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है तथा इन 6 भावों में स्थित मंगल विभिन्न प्रकार की संभावनाएं बना सकता है। इन भावों में स्थित मंगल वास्तव में मांगलिक दोष बना सकता है, इन भावों में स्थित मंगल कोई भी दोष या योग न बना कर लगभग सुप्त अवस्था में बैठ सकता है तथा इन भावों में स्थित मंगल मांगलिक योग बना सकता है। मांगलिक योग मंगल के द्वारा बनाया जाने वाला एक बहुत ही शुभ योग है जो किसी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन को बहुत सुखमय तथा मंगलमय बनाने में पूरी तरह से सक्षम है। यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि मांगलिक दोष और मांगलिक योग के फल एक दूसरे से बिल्कुल ही विपरीत होते हैं किन्तु फिर भी ये दोनो योग-दोष मंगल के कुंडली में 1,2,4,7,8 तथा 12वें भाव में स्थित होने से ही बनते हैं। इस लिए मंगल के कुंडली के इन 6 भावों में स्थित होने का मतलब सिर्फ मांगलिक दोष का बनना ही नहीं होता बल्कि मांगलिक योग का बनना भी होता है जो किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए बहुत मंगलकारी योग है।

                                                       इस लिए अगर आपकी कुंडली में मंगल उपर बताये गए 6 भावों में से किसी एक में स्थित है तो आप के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि आपकी कुंडली में वास्तव में मांगलिक दोष बनता भी है या नहीं। और अगर आपकी कुंडली में मांगलिक दोष उपस्थित हो भी, तब भी कुछ महत्त्वपूर्ण बातों पर गौर करना बहुत आवश्यक है, जैसे कि कुंडली में यह दोष कितना बलवान है तथा किस आयु पर जाकर यह दोष पूर्ण रूप से जाग्रत होगा। मांगलिक दोष के बुरे प्रभावों को पूजा, रत्नों तथा ज्योतिष के अन्य उपायों के माध्यम से बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

लेखक
हिमांशु शंगारी

रविवार, 5 जून 2011

क्या हम भारतीय है ?

क्या हम भारतीय है ? आप सोचेंगे यह कौन नहीं जानता, यह कैसा सवाल है ? तो क्या हमारी भारतीय संस्कृति हमें यही सिखाती है की हम अपने देश के साधू महात्माओ हकीमो  और पादरी जैसे महान आत्माओ के द्वारा की जानेवाली समाज सुधार्र की कोसिसो का यु अपमान होते देखे? जो सदियों से केवल समाज की भलाई के लिए ही काम करते रहे है और वो भी उस समय जब हम सब केवल भ्रस्टाचार ही नहीं अन्य बहोत सी सामाजिक बुरइयो से रोज सामना कर रहे हो ,मै यह नहीं कह रहा हु की हमें कोई उत्पात मचानी चाहिए, या हमें भी वहा पर अन्ना हजारे , या बाबा रामदेव जैसे अनसन पर बैठ जाना चाहिए, पर ज़रा सोंचिये जहा के क़ानून का पालन हमारे खून में बसा है जहा की मिटटी में हमारे पुरखो का  जीवन बीता है  क्या उस  भारत पर हमारा कोई अधिकार नहीं है क्या हम सरकार के सामने अपनी मांग भी नहीं रख सकते, कमसे कम दिल्ली के रामलीला मैदान से तो यही संकेत मिलता है जो बाबा रामदेव और उनके साथ अनसन पर बैठे अन्य निहथ्थे लोगो के साथ हुआ,  तो क्या हम भारतीय है ? यहाँ पर भारतीय केवल वो लोग है जो सरकार चलाते है या फिर वो लोग है जो सरकारी नौकरी  में अछे वहादे पर है जिनके हाथ में गरीबो की जुबान दबाने की ताकत है या फिर वो लोग है जिनके पास पैसा है और उसके बल पर वो पोलिटिसीअन को खरीद कर उनसे इल्लीगल काम कराने में सक्षम है आज हम अपने ही हक्क के लिए नहीं लड़ सकते ....ऐसा लगता है की हम पराये देश में रह रहे है जहा हमे डरे सहमे से रहना पड़ेगा, जहा पर आज भी देश की रक्षा करने के लिए गरीब से गरीब ब्यक्ति अपना सब कुछ न्योछावर कर देता है वह देश अब केवल अमीरों का है और वहां के नेता  भी केवल अमीरों के सेवक  है .............. यही सोंच आज आम आदमी की होती जा रही है ........तो क्या हम भारतीय है ?.......क्या हमे अपने हक्क के लिए नहीं लड़ना चाहिए? या फिर अपने हक्क की लड़ाई केवाल दूसरो के भरोसे ही छोड़ देनी चाहिए क्यों नहीं हम और आप आज से एक ऐसी आगाज करे की हम भी भारतीय कहलाने के योग्य हो हमारी बाते सरकार के कानो तक यदि पहुचे तो उसपर अमल हो ...क्यों की सरकार आखिर हमारी सेवा के लिए ही तो है ......... और यदि हममे अपने हक्क की लड़ाई का भी सामर्थ्य नहीं है तो .......तो जरूर विचार कीजियेगा की ....क्या हम भारतीय है?..... और आप चाहते है आपके अपने बच्चे भी यही प्रश्न  दुहराए? ........ चलो एक नए भारत की सुरुआत करे जहा पर हम गर्व से कह सके की हम भारतीय है और अपने बच्चो को भारतीय होने की सौगात दे......... **** पिंटू ****

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

२८ दिन में पृथ्वी का अंत ?


क्या धरती केवाल २८ दिन की मेहमान है ? ऐसा एक अमेरिकन धर्म प्रचारक की भविष्य वाणी है, की धरती के पास अब केवल २८ दिन ही बचे है और २१ मई २०११ को धरती का अंतिम दिन होगा,चलिए मै उस धर्मगुरु की पूरी भविष्य वाणी और उसके द्वारा किये गए गड्नाओ को ज्यो का त्यों प्रस्तुत करता हूँ, अमेरिकी धर्म प्रचारक का यह कहना है कि
इस वक्‍त़, परमेश्‍वर की शरण में जाने की ख़ातिर, दुनिया में हर एक के लिए जल्‍दबाज़ी करने की नौबत आ पड़ी है. बाइबिल, परमेश्‍वर की वाणी है! बाइबिल में जो भी घोषणा की गई है उसका संपूर्ण प्रमाण, स्‍वयं परमेश्‍वर है. अब, इस मोड़ पर, बाइबिल से ऐसी जानकारी मिल रही है जिसमें इंसाफ़ के दिन और जगत का अंत करने के बारे में परमेश्‍वर की योजना स्‍पष्‍ट रूप से ज़ाहिर की गई है. बाइबिल में, इतिहास की समय रेखा के बारे में गूढ़ जानकारी अब प्रकट की गई है. यह जानकारी अब तक मालूम नहीं थी क्‍योंकि परमेश्‍वर ने, जगत का अंत होने के बारे में ज्ञान हासिल करने की कोशिश को नाकाम करते हुए अपने वचन बंद किए थे. दानिय्येल की किताब में इस बात का जिक्र किया गया है:
दानिय्येल 12:9 उसने कहा, हे दानिय्येल जा; क्‍यों कि ये बातें अंतिम समय के लिए बंद हैं और इन पर मुहर बंद की गई है.
लेकिन, अब इस समय, अपने वचन प्रकट करते हुए(बाइबिल), परमेश्‍वर ने, जगत का अंत होने के समय(और बहुत सारे दूसरे उपदेश) के बारे में महान सत्‍य का ख़ुलासा किया है. साथ ही, इसी अध्‍याय में दानिय्येल इस तरह कहता है:
दानिय्येल 12:4 परंतु हे दानिय्येल, तू इस पुस्‍तक पर मुहर लगाकर इन वचनों को अंतिम समय तक बंद रख. और बहुत लोग पूछ-ताछ करेंगे और ढूँढ़ेंगे और इससे ज्ञान भी बढ़ जाएगा.
अब परमेश्वर अपने वचन प्रकट करने लगा है क्‍योंकि हम इस वक्‍त उस मोड़ पर हैं जब इस जगत का अंत होने जा रहा है. इस वजह से, बाइबिल के गंभीर छात्र के लिए यह एकदम ज़ाहिर हो गया है कि अब हम इस धरती के इतिहास के आख़िरी इने-गिने दिन जी रहे हैं. असल में, चूँकि अब हम जगत के अंतिम समय पर जी रहे हैं, इसलिए परमेश्वर, अपने लोगों को यह जानकारी प्रकट कर रहा है:

बाइबिल का इतिहास कैलेंडर

प्रभु, बाइबिल के पन्‍नों में पाए गए " बाइबिल संबंधी कैलेंडर " के बारे में अपने लोगों को समझा रहा है. उत्‍पत्ति ग्रंथ के वंशक्रम में ख़ासकर अध्‍याय 5 और 11 में, इस जगत की मानव-जाति के इतिहास का सही कैलेंडर दर्शाया जा सकता है. बाइबिल का इतिहास कैलेंडर पूरी तरह से सही और भरोसेमंद है.
चूँकि बाइबिल संबंधी कैलेंडर, परमेश्वर ने अपने वचनों में प्रकट किया है इसलिए, इस पर जी-जान से भरोसा किया जा सकता है. इस संक्षिप्‍त पुस्तिका में, हम, बाइबिल संबंधी कैलेंडर से और धर्मग्रंथों के अन्य अध्‍ययनों से निकाले गए कुछ निष्‍कर्ष आपके साथ बाँटना चाहते हैं. लेकिन, उपलब्‍ध जानकारी इतनी प्रचुर मात्रा में है और जटिल है कि इस छोटी सी पुस्तिका में सब कुछ समेटना संभव नहीं है; फिर भी हम, सही और विश्‍वसनीय तारीखें दे सकते हैं और ज़रूर देंगे. इन तारीखों पर पूरी तरह से भरोसा किया जा सकता है क्‍योंकि ये तारीखें, और कहीं नहीं, बल्कि स्‍वयं बाइबिल में प्रकट की गई हैं. (ईबाइबिलफेलोशिप की फैमिली रेडियो के साथ कोई सहबद्धता नहीं है. लेकिन हमारी यह सिफ़ारिश है कि आप इस पते पर : फैमिली स्‍टेशन्‍स, इंक, 290, हैगनबर्गर रोड, ऑकलैंड सीए 94261, संपर्क कर, “We Are Almost There” किताब की प्रति मुफ़्त में हासिल करें. इस किताब में, इंसाफ़ के दिन और जगत का अंत होने के समय के बारे में विस्‍तृत जानकारी दी गई है

इतिहास में महत्‍वपूर्ण घटनाओं का समय

11,013 ईसवी पूर्व—सृष्टि. परमेश्‍वर ने, जगत और मनुष्‍य (आदम और हव्‍वा) की सृष्टि की.
4990 ईसवी पूर्व—नूह के दिवस की बाढ़. दुनिया-भर में आई बाढ़ ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया. सिर्फ़ नूह, उसकी पत्‍नी और उसके 3 बच्‍चे, जहाज़ की बदौलत बच गए (सृष्टि से 6023 वर्ष).
7 ईसवी पूर्व—जिस वर्ष यीशु मसीह का जन्‍म हुआ (सृष्टि से 11,006 वर्ष).
33 ईसवी सन्—जिस वर्ष यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया और चर्च का युग शुरू हुआ (सृष्टि से 11,045 वर्ष; बाढ़ से 5023 कैलेंडर वर्ष ).
1988 ईसवी सन्—इस वर्ष, चर्च युग समाप्‍त हुआ और 23 वर्षों (सृष्टि से 13,000 वर्ष) का घोर संकट समय प्रारंभ हुआ.
1994 ईसवी सन्—7 सितंबर को , घोर संकट के पहले 2300 दिन पूरे हुए और बाद की वर्षा शुरू हुई और चर्च के बाहर इबादत करनेवाले बड़ी तादाद में लोगों को बचाने की परमेश्‍वर की योजना की शुरुआत हुई (सृष्टि से 13,006 वर्ष).
2011 ईसवी सन्—21 मई को, घोर संकटवाले 23 वर्ष के अंत में इंसाफ़ का दिन शुरू होगा और भाव-समाधि (परमेश्‍वर के चुनिंदा लोगों को आकाश ले जाने की घटना) होगी. 21 अक्‍तूबर को, आग से जगत का विनाश हो जाएगा (बाढ़ से 7000 वर्ष; सृष्टि से 13,023 वर्ष).

एक दिन एक हज़ार वर्षों के समान

परमेश्वर के बच्चे ने बाइबिल से सीखा है कि उत्‍पत्ति 7 की भाषा के दो अर्थ निकलते हैं:
उत्‍पत्ति 7:4 क्योंकि सात दिन और बीतने पर मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूँगा; और जितनी वस्तुएँ मैंने बनाई हैं उन सब को भूमि से मिटा दूँगा.
अगर हम ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो, जब परमेश्‍वर ने ये वचन प्रकट किए तब जहाज़ की सुरक्षा में पहुँचने के लिए नूह, उसके परिवार और जानवरों के पास सात दिन बचे थे; लेकिन आध्‍यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो (और बाइबिल एक आध्‍यात्मिक ग्रंथ है), परमेश्‍वर, दुनिया के हर एक इनसान को संबोधित कर रहा था और यह घोषणा कर रहा था कि यीशु मसीह के मुक्ति-धाम में पनाह लेने के लिए पापी मानव-जाति को 7000 वर्ष लगेंगे. इसे हम कैसे जान सकते हैं? 2 परतस, अध्‍याय 3 में कही गईं बातों के आधार पर हम जानते हैं कि यह ऐसा ही है:
2 परतस 3:6-8 इसी के कारण उस युग का जगत जल में डूब कर नष्‍ट हो गया. पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्‍वी उसी वचन के द्वारा इसलिए रखे गए हैं कि जलाए जाएँ; और ये भक्तिहीन मनुष्‍यों के न्‍याय और नष्‍ट होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे. हे प्रियो, यह बात तुम से छिपी न रहे कि प्रभु के यहाँ एक दिन हज़ार वर्ष के बराबर है और हज़ार वर्ष एक दिन के बराबर है.
2 परतस 3 का संदर्भ बेहद महत्‍वपूर्ण है! पहले कुछ अनुवाक्‍यों में परमेश्वर हमें, नूह के दिवस के दौरान बाढ़ से जगत के विनाश का हवाला देता है. उसके बाद हम देखते हैं कि एक अजीब किस्‍म की चेतावनी दी जाती है कि हम, इस बात को नजरंदाज न करें यानी; 1 दिन, 1000 वर्षों के बराबर होता है और 1000 वर्ष, 1 दिन के बराबर. इस प्रकटन के तुरंत बाद, इस वर्तमान जगत का आग से विनाश होने के बारे में सुस्‍पष्‍ट वर्णन किया गया है.
1 दिन की 1000 वर्षों के साथ बराबरी करते हुए परमेश्वर, आखिर हमें समझाना क्‍या चाहता है?
हमने हाल में, बाइबिल के पन्‍नों से बाइबिल का इतिहास कैलेंडर खोज निकाला. इससे हम पाते हैं कि नूह के दिवस बाढ़ का दिन, वर्ष 4990 ईसवी पूर्व में पड़ता है. यह तारीख एकदम सही है 4990 ईसवी पूर्व में परमेश्‍वर ने नूह को ज़ाहिर किया कि पृथ्‍वी का जलमय होने के लिए और 7 दिन लगेंगे. अब अगर हम प्रत्‍येक 7 दिन को, 1000 वर्षों के बराबर रखेंगे तो 7000 वर्ष बनते हैं. और जब हम 4990 ईसवी पूर्व से लेकर भविष्‍य में 7000 वर्षों का प्रक्षेपण करेंगे तो, हम पाते हैं कि वह वर्ष 2011 ईसवी सन् में पड़ता है.
   4990 + 2011 = 7000
नोट: पुराने धर्म नियम की तारीख से नए धर्म नियम की तारीख की गितनी करते समय, हमेशा एक वर्ष घटाना चाहिए क्‍योंकि कोई शून्‍य वर्ष नहीं है, परिणामस्‍वरूप:
   4990 + 2011 – 1 = ठीक 7000 वर्ष.
वर्ष 2011 ईसवी सन्, नूह के दिवस बाढ़ के दिन से 7000वें वर्ष के समान होगा. यह वही वर्ष है जब परमेश्वर के समक्ष अनुग्रह पाने के लिए मानव-जाति को दिया गया समय समाप्‍त हो जाएगा. इसका मतलब है कि यीशु मसीह की शरण में पनाह पाने का वक्त बहुत ही कम है. हम, वर्ष 2011 ईसवी सन् से, बहुत ही करीब हैं.
यह कोई असामान्‍य बात नहीं है कि परमेश्‍वर के लोगों को जगत का अंत होने के समय के बारे में पूर्व जानकारी दी गई है. वास्‍तव में, बाइबिल में समझाया गया है कि यह एक मामूली बात है. इससे पहले कई मौकों पर परमेश्‍वर ने नज़दीक आते रहे क़यामत के दिन के बारे में लोगों को चेतावनी दी है:
आमोस 3:7 इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रकट किए कुछ भी न करेगा.
इब्रानी 11:7 विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चेतावनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया और उसके द्वारा उस ने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है.

इंसाफ़ का दिन : मई 21, 2011

हम जानते हैं कि वर्ष 2011, बाढ़ के दिन से 7000 वाँ वर्ष बनता है. हम इस बात से भी वाक़ि‍फ़ हैं कि उसी वर्ष, परमेश्‍वर, इस जगत का विनाश कर देगा. लेकिन 2011 में यह घटना कब होगी?
इसका जवाब विस्मयजनक है. चलिए, उत्‍पत्ति ग्रंथ में बाढ़ की घटना पर एक और नज़र डालते हैं:
उत्‍पत्ति 7:11 जब नूह की अवस्था के छह सौंवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्रहवाँ दिन आया; उसी दिन बड़े गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकलें और आकाश के झरोखे खुल गए.
अपने वचन के मुताबिक, परमेश्वर, निश्चित रूप से 600वें वर्ष में 7 दिन बाद, नूह के जीवनकाल के अनुरूप कैलेंडर के दूसरे महीने के 17वें दिन बाढ़ लाया. दूसरे महीने के इसी 17वें दिन, परमेश्वर ने जहाज़ के दरवाज़े बंद कर दिए जिसकी बदौलत जहाज़ पर रहे सारे लोग सुरक्षित रहे और जहाज़ के बाहर की दुनिया में हर एक का भविष्‍य अंधकार में पड़ गया. अब वे सारे लोग, दुनिया-भर में होनेवाले विध्वंस में निश्चित रूप से मिट जाएंगे.
उत्‍पत्ति 7:16,17 और जो गए, वह परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार सब जाति के प्राणियों में से नर और मादा गए. तब यहोवा ने उसका द्वार बन्द कर दिया; और पृथ्वी पर चालीस दिन तक प्रलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ही गया जिस से जहाज़ ऊपर को उठने लगा, और वह पृथ्वी पर से ऊंचा उठ गया.
इससे पहले उल्‍लेख किया गया था कि चर्च युग, वर्ष 1988 ईसवी सन् में समाप्‍त हुआ. संयोगवश, चर्च का युग, वर्ष 33 ईसवी सन् में पेन्‍तकोस्‍त के दिन शुरू हुआ. तदनंतर 1955 वर्षों के बाद, चर्च का युग मई 21 तारीख को समाप्‍त हुआ जो 1988 में पेन्‍तकोस्‍त से पहले का दिन था.
बाइबिल में सिखाया गया है कि चर्च का युग, घोर संकट के प्रारंभ के साथ-साथ समाप्‍त होगा:
मत्‍ती 24:21 क्योंकि उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा.
21 मई 1988 से, परमेश्‍वर ने दुनिया के गिरिजाघरों और धार्मिक संघों का उपयोग करना छोड़ दिया और उनको तिलांजली दे दी. परमेश्‍वर की आत्‍मा, तमाम गिरिजाघरों से निकल गई और उसी क्षण पापी शैतान, गिरिजाघरों में घुसकर उन पर अपनी हुकूमत चलाने लगा. बाइबिल में हमें सिखाया गया है कि गिरिजाघरों पर क़यामत का यह ख़ौफ़नाक साया 23 वर्षों तक रहेगा. पूरे 23 वर्ष की अवधि,(ठीक 8400 दिन),मई 21, 1988 से लेकर 21 मई, 2011 तक होगी. यह जानकारी, बाइबिल से खोज निकाली गई जो पूरी तरह से बाढ़ से 7000 वर्षों के बारे में जानकारी के अतिरिक्त है. इसलिए, हम देखते हैं कि संपूर्ण 23 वर्ष का संकट समय, मई 21, 2011 को समाप्‍त होगा. ठीक इसी तारीख को घोर संकट का अंत हो जाएगा और संभवत: उसी दिन नूह के दिवस, बाढ़ के दिन से 7000 वर्षों की घड़ी का मिलन होगा.
हमें यह बात ध्‍यान में रखनी होगी कि परमेश्‍वर ने नूह के कैलेंडर के दूसरे महीने के 17वें दिन जहाज़ का दरवाजा बंद कर दिया. साथ ही हम पाते हैं कि मई 21, 2011 को घोर संकट की घडी समाप्‍त हो जाएगी. नूह के कैलेंडर के दूसरे महीने और 17वें दिन तथा हमारे आधुनिक कैलेंडर के मई 21, 2011 के बीच एक सुदृढ संबंध है. यह संबंध तब तक आसानी से नज़र नहीं आएगा जब तक हम यह नहीं खोज लेते हैं कि विचार करने लायक एक और कैलेंडर है, जिसका नाम है इब्रानी(बाइबिल संबंधी) कैलेंडर. मई 21, 2011, इब्रानी कैलेंड के दूसरे महीने का 17वाँ दिन पड़ता है. इस तरह से परमेश्‍वर, हमें इस बात की पुष्टि कर रहा है कि बाढ़ के दिन 7000-वर्ष की समय रेखा के बारे में हमारी समझदारी एकदम सही है. मई 21, 2011 की तारीख, उस तारीख के साथ ठीक बैठती है जब परमेश्‍वर ने नूह के जहाज़ का दरवाज़ा बंद कर दिया था. इस आधार पर और बाइबिल संबंधी बहुत सारी अन्‍य जानकारी के बलबूते पर हम पाते हैं कि मई 21, 2011, वह दिन है, जब परमेश्‍वर, अपने चुनिंदा लोगों को आकाश में ले जाएगा. मई 21, 2011, इंसाफ़ का दिन होगा. इसी दिन, परमेश्‍वर, दुनिया के लिए उद्धार होने के दरवाज़े बंद कर देगा.
यानी, उस दिन, जो नूह के कैलेंडर के दूसरे महीने का 17वाँ दिन बनता है, घोर संकल काल समाप्‍त करते हुए परमेश्‍वर, निर्विवाद रूप से हमें इस बात की पुष्टि कर रहा है कि वह, उसी दिन, आकाश में प्रवेश द्वार हमेशा के लिए बंद करना चाहता है.
युहन्‍ना 10:9 द्वार मैं हूँ: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा.
बाइबिल में एकदम स्‍पष्‍ट किया गया है कि आकाश में प्रवेश पाने का द्वार स्‍वयं यीशु है. वह, आकाश के भव्‍य राज्‍य में प्रवेश पाने का एकमात्र साधन है.
प्रेरितों के काम 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सकें.
इंसाफ़ के दिन, एक बार दरवाज़ा(यीशु) बंद होने पर पृथ्‍वी पर मुक्ति की कोई संभावना नहीं रह जाएगी:
प्रकाशित वाक्‍य 3:7 …वह यह कहता है कि जो पवित्र और सत्य है और जो दाऊद की कुंजी रखता है, जिस के खोले हुए को कोई बन्द नहीं कर सकता और बन्द किए हुए को कोई खोल नहीं सकता;
बाइबिल में सिखाया गया है कि मई 21, 2011 को, मुक्ति पाने के लिए परमेश्‍वर द्वारा चुने गए सिर्फ असली विश्‍वासियों को, आकाश में प्रभु से मिलने और अनंतकाल तक उसके साथ रहने के लिए इस दुनिया से भाव-समाधि(आकाश में ले जाया जाएगा)दी जाएगी:
1 थिस्‍सलुनीकियों 4:16,17 क्‍योंकि प्रभु आप ही स्‍वर्ग से उतरेगा ; उस समय ललकार और प्रधान दूत का शब्‍द सुनाई देगा और परमेश्‍वर की तुरही फूँकी जाएगी और जो मसीह में मरें हैं, वे पहले जी उठेंगे. तब हम, जो जीवित और बचे रहेंगे, उनके साथ बादलों पर उठा लिए जाएंगे कि हवा में प्रभु से मिलें और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे.
मानव जाति के शेष लोगों(अनगिनत लोगों)को पीछे छोड़ा जाएगा ताकि वे पृथ्‍वी पर, परमेश्‍वर के भयंकर इंसाफ़ का सामन कर 5 महीने की भीषण अवधि तक घोर विपत्ति का अनुभव कर सकें:
प्रकाशित वाक्‍य 9:3-5 और उस धुएं में से पृथ्वी पर टिड्डियां निकलीं, और उन्हें पृथ्वी के बिच्छुओं की सी शक्ति दी गई. और उनसे कहा गया कि न पृथ्वी की घास को, न किसी हरियाली को, न किसी पेड़ को हानि पहुंचाओ, केवल उन मनुष्यों को जिन के माथे पर परमेश्वर की मुहर नहीं है और उन्हें मार डालने का तो नहीं, पर पाँच महीने तक लोगों को पीड़ा देने का अधिकार दिया गया: और उनकी पीड़ा ऐसी थी, जैसे बिच्छू के डंक मारने से मनुष्य को होती है.

जगत का अंत : अक्‍तूबर 21, 2011

अपने अनुग्रह और अपनी असीम कृपा के कारण, परमेश्‍वर हमें, पहले से ही चेतावनी दे रहा है कि वह आगे क्‍या करने जा रहा है. इंसाफ़ के दिन यानी मई 21, 2011 से, पृथ्‍वी के तमाम निवासियों के लिए, 5 महीने की विपत्ति की भीषण अवधि शुरू होगी. मई 21 तारीख को परमेश्‍वर, अब तक जिन लोगों की मृत्‍यु हुई है उन सब को कब्र से उठाकर जीवित करेगा. समस्‍त पृथ्‍वी, भूकंप की चपेट में आएगी और पृथ्‍वी अपने मृतकों को छिपा नहीं सकेगी(यशायाह 26:11). उद्धार किए गए व्‍यक्तियों की तरह मरे लोग, जीवित हो उठेंगे और सदा प्रभु के पास रहने के लिए फौरन यह दुनिया छोड़ देंगे. उद्धार हुए बगैर जिनकी मृत्‍यु हुई थी वे भी जीवित हो उठेंगे लेकिन जीवन रहित शरीर ढोए सारी पृथ्‍वी पर भटकते रहेंगे. हर कहीं मृत्‍यु का ही नज़रा होगा.
साथ ही प्रभु, उत्‍पत्ति के अध्‍याय 7 के अंतिम अनुवाक्‍य में 5 महीनों की विध्‍वंसपूर्ण भीषण अवधि का ख़ास जिक्र करता है:
उत्‍पत्ति 7:24 और जल, पृथ्वी पर एक सौ पचास दिन तक प्रबल रहा.
मई 21, 2011 के बाद पाँच महीने बीतने पर अक्‍तूबर 21, 2011 आएगा. संयोगवश, अक्‍तूबर 21, 2011 के ही दिन, बाइबिल संबंधी मण्‍डपों के त्‍योहार का अंतिम दिन पड़ता है(जो संचयन त्‍योहार के साथ मनाया जाता है). मण्‍डप त्‍योहार, इब्रानी कैलेंडर के 7वें महीने में मनाया जाता है. इस त्‍योहार के बारे में परमेश्‍वर, जो वचन कहता है, वे बेहद उल्‍लेखनीय हैं:
निर्गमन 23:16 …और वर्ष के अन्त में जब तू परिश्रम के फल बटोर के ढेर लगाए, तब बटोरन का पर्व मानना.
निर्गमन 34:22 और तू अठवारों का पर्व मानना जो पहिले लवे हुए गेहूं का पर्व कहलाता है, और वर्ष के अन्त में बटोरन का भी पर्व मानना.
यद्यपि मण्‍डपों/संचयन का त्‍योहार इब्रानी के 7वें महीने में, जो वर्ष का अंत नहीं होता है, मनाया जाता है, फिर भी कहा जाता है कि यह त्‍योहार '' वर्ष के अंत '' में मनाया गया. इसकी वजह है कि इस खास पर्व की आध्‍यात्मिक परिणति जगत के अंत में है. अक्‍तूबर 21, 2011, मण्‍डपों के त्‍योहार का आखिरी दिन और साथ ही पृथ्‍वी के अस्तित्व का अंतिम दिन होगा. अक्‍तूबर 21, 2011 के दिन, क्‍या घटनेवाला है, इस बारे में बाइबिल में इस तरह का संदेश दिया गया है:
2 पतरस 3:10 लेकिन प्रभु का दिन चुप के से चोर की तरह आएगा. उस दिन भयंकर गड़गड़ाहट के साथ आकाश विलीन हो जाएगा और उसके सारे तत्‍व तप्‍त हो कर पिघल जाएंगे, साथ ही पृथ्‍वी और उसकी सारी व्‍यवस्‍था, जलकर भस्‍म हो जाएगी.
समस्‍त जगत और सृष्टि के साथ, परमेश्‍वर के वचन ठुकराते हुए पाप के भागीदार बने और इसी तरह से पीछे छोडे गए सभी लोग आग की चपेट में आएंगे और शाश्‍वत रूप से मिट जाएँगे:
2 थिस्‍सलुनीकियों 1:8,9 जब प्रभु यीशु धधकती आग में प्रकट होगा और परमेश्‍वर को नहीं पहचानेंगे और हमारे प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार पर नहीं चलेंगे उन्‍हें दण्‍ड दिया जाएगा. उन्‍हें प्रभु और उसकी महिमापूर्ण शक्ति के सामने से हटाकर अनंत विनाश का दण्‍ड दिया जाएगा.
अक्‍तूबर 21, 2011 को परमेश्‍वर, इस सृष्टि को और उसके साथ उन सब लोगों को, जिनका यीशु मसीह से उद्धार नहीं हुआ है, आमूल रूप से मिटा देगा. परमेश्‍वर से विद्रोह कर किए गए पाप का भुगतान करने के लिए शाश्‍वत रूप से जीवन खो देना पड़ेगा. अक्‍तूबर 21, 2011 से आगे, ऐसे तमाम दरिद्र लोग अस्तित्‍व में नहीं रहेंगे. वाकई, यह बदकिस्‍मती नहीं तो और क्‍या है कि परमेश्‍वर की छवि में बना उदात्‍त व्‍यक्ति, जानवर की मौत मरेगा और सदा के लिए मिट जाएगा:
भजन संहिता 49:12 परन्तु मनुष्य प्रतिष्ठा पाकर भी स्थिर नहीं रहता, वह पशुओं के समान होता है, जो मर मिटता है.ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो आपके साथ बाँटनी हैं. लेकिन मेरी प्रिय आत्‍मा, यह बात गाँठ बाँध लो कि उद्धार होने के लिए अब ज्‍यादा वक्‍त नहीं बचा है! परमेश्‍वर ने जगत को बाढ़ के दिन से 7000 वर्ष दिए हैं और 21 मई, 2011 तक पहुँचने के लिए अब गिने-चुने दिन रह गए हैं. इससे पहले कि हमें इस बात का एहसास हो, बहुत देर हो चुकी होगी. इससे पहले कि हमें पता चले, वह रेतघड़ी का समय नहीं रहेगा और सदा के लिए निकल जाएगा. हालाँकि ज्‍यादा वक्‍त नहीं बचा है फिर भी आज भी हर एक के लिए आशा की किरण अवश्‍य नज़र आएगी:
2 कुरिन्थियों 6:2 (क्योंकि वह तो कहता है कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली और उद्धार के दिन मैंने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्‍नता का समय है; देखो, अभी वह उद्धार का दिन है.)
अगर किसी का उद्धार करना चाहे तो परमेश्‍वर के लिए क्षणभर भी नहीं लगेगा. पाप से भरी जिंदगी के आखिरी क्षणों में चोर को, यीशु ने क्रूस पर बचाया था:
लूका 23:42,43 तब उसने कहा, हे यीशु, जब तुम अपने राज्‍य में आए, तो मेरी सुधि लेना. उसने उससे कहा, मैं तुझ से सच कहता हूँ कि आज ही तू मेरे साथ स्‍वर्गलोक में होगा.
हमारी प्रार्थना है कि आप, इस पुस्तिका को उसी भावना के साथ क़बूल करें जिस भावना के साथ हम इसे पेश कर रहे हैं. इस पुस्तिका को पढ़ते समय कृपया बाइबिल से कोट किए गए अनुवाक्‍यों पर विचार करें क्‍योंकि ये, परमेश्‍वर के वचन हैं और इस कारण, इसमें परम शक्ति और प्रभुत्‍व है. उद्धार होने की दिशा में हमारी एक ही आशा है कि आप, परमेश्‍वर के वचनों का पठन करें. इस वक्‍त आकाश(यीशु) का दरवाज़ा खुला है. इसी घड़ी में परमेश्‍वर, गिरिजाघरों और धार्मिक संघों के बाहर की दुनिया में इबादत करनेवाले असंख्‍य लोगों का उद्धार कर रहा है:
प्रकाशित वाक्‍य 7:9,13,14 इसके बाद मैंने दृष्टि की और देखो, हर एक जाति और कुल तथा लोग एवं भाषा में से ऐसी भीड़ जिसे कोई गिन नहीं सकता था, श्‍वेत वस्‍त्र पहिने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिए हुए सिंहासन के सामने और मेम्‍ने के सामने खडी हैं;... इस पर प्राचीनों में से एक ने मुझ से कहा; ये श्वेत वस्त्र पहिने हुए कौन हैं? और कहां से आए हैं?मैंने उससे कहा, हे स्‍वामी, तू ही जानता है. उसने मुझसे कहा, ये वे लोग हैं जो महाक्‍लेश में से निकलकर आए हैं और अपने वस्‍त्र मेम्‍ने के लहू से धोकर श्‍वेत किए हैं.
परमेश्‍वर, उन्‍हीं लोगों का उद्धार करता है जो उसके वचन सुनते हैं और दूसरी तरह से उद्धार होने का कोई दूसरा उपाय नहीं है:
रोमियों 10:17 सो विश्‍वास, सुनने से और सुनना, मसीह के वचन से होता है.
आप अपने परिवार के साथ(ख़ासकर बच्‍चों के साथ) बाइबिल का अध्‍ययन करें और अध्‍ययन करते-करते दया की भीख माँगना न भूलें. कृपानिधान और दयामय, बाइबिल के परमेश्‍वर से याचना करें कि वह विध्‍वंस की आगामी घटना से आपको बचाए. हमें, योना की किताब में परमेश्‍वर की असीम अनुकंपा के बारे में थोडी सी जानकारी मिलती है. परमेश्‍वर ने नीनवे के लोगों को उनके शहर की बरबादी के बारे में पहले से ही आगाह किया:
योना 3:4-9 योना ने नगर में प्रवेश करके एक दिन की यात्रा पूरी की और यह प्रचार करता गया, अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा. तब नीनवे के मनुष्‍यों ने परमेश्‍वर के वचन पर विश्‍वास किया और उपवास का प्रचार किया तथा बड़े से लेकर छोटे तक सब ने टाट ओढ़ा. तब यह समाचार नीनवे के राजा के कान में पहुँचा; और उसने सिंहासन से उठ, अपना राजकीय ओढ़ना उतारकर टाट ओढ़ लिया और राख पर बैठ गया. और राजा तथा उसके प्रधानों की सम्‍मति लेकर नीनवे में इस आज्ञा का ढ़ींढ़ोरा पिटवाया गया कि चाहे मनुष्‍य हो या गाय-बैल या भेड़-बकरी या पशु या कोई भी हो, वे कुछ भी न खाएँ और न ही पीएँ. परंतु मनुष्‍य एवं पशु, दोनों ने टाट ओढ़ें और परमेश्‍वर से चिल्‍ला-चिल्‍लाकर दुहाई करें; और अपने कुमार्ग से फिरें और उस उपद्रव से, जो वे किया करते हैं, पश्‍चाताप करें. संभव है, परमेश्‍वर दया करे और अपनी इच्‍छा बदल दे और उसका भड़का हुआ कोप शांत हो जाए और हम नाश होने से बच जाएँ.
परमेश्‍वर ने नीनवे के लोगों को नहीं मिटाया. यद्यपि ऐसी संभावना नहीं है कि परमेश्‍वर, 2011 में जगत का विनाश करने के अपने इरादे से पलट जाए, फिर भी, नीनवे के लोगों के साथ परमेश्‍वर के व्‍यवहार से हम यह जान सकते हैं कि परमेश्‍वर दयालु है और कृपानिधान है. इस दृष्‍टांत से हम सब का ढाढ़स बँधता है कि हम परमेश्‍वर की शरण में जाकर उससे अनुग्रह की भींख माँगें..........
........आज तक इस तरह की सैकड़ो भविष्य वानियाँ  की जा चुकी हैं पर आज भी धरती का वजूद है और वे सारी भविष्य वानियाँ असत्य साबित हुई जो की धरती के विनाश के बारे में बताई गयी,  तो हम कैसे मान लें की यह भविष्य वाणी सत्य होगी ......... आप सभी इस विषय पर अपना विचार प्रस्तुत करेंगे ऐसी उम्मीद करते हैं .       
..........* पिंटू *....................