बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

भावना मेरे दिल की .......

हे रब तूने ये क्या किया..............?
चाहा था मिलना किसी अनजान से, तो तूने मिला दिया.
चाहा था देखना उसे,  तो तूने दिखा दिया.
जब  करनी चाही बाते, तो उसको हँसा दिया.
इस तरह मेरे सोये दिल को, तो तूने जगा दिया.

हे रब तूने ये क्या किया..............?
हमारे इस सिलसिले को क्यों, तूने बढ़ावा दिया.
इसको फिर क्यों प्यार में, तूने बदल दिया.
क्यों तूने इतना करीब, हमें ला दिया.
प्यार का करके दिखावा, तूने ही जुदा किया.

हे रब तूने ये क्या किया..............?
वफ़ा का था उम्मीद जिससे, उसने ही दगा दिया.
प्यार था किया जिसको, उसने ही सजा दिया.
बदले में प्यार के हमें, बेवफा बना दिया.
फिर भी इस पागल  दिल ने, क्यों उसको ही याद किया.

हे रब तूने ये क्या किया..............?
करता हू याद तुझको  रब, अब यह ही सोंचकर.
शायद मिलाएगा कभी, वफा के तौर पर.
चाहा था पूंछना जो नाम, क्या है रब उसका.
तुमने दिखा के ममता, मुझको बता दिया.

हे रब तूने ये क्या किया..............?
पर जानता हू अब तुझे, कि कर भी क्या सकता है तू.
क्यों कि तुझमे  शक्ति नहीं, एक शिला है तू.
हाँ, प्यार में मुझको तो, तुने अच्छा शिला दिया.
क्यों कि मुझको छोड़ा, उसको गुमशुदा बना दिया.

हे रब तूने ये क्या किया..............?

  
                                                 ****** पिंटू******