शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

गम का दीया

एक गम के दीये में तेल न था,
चिंगारी सी एक परी दिखी.

उस परी का दामन थाम लिया,
तो गम के दिए को हवा मिली.

उस दिए को लौ पर गुरुर था,
जब तक उस परी का साथ  रहा.

कुछ छड़ के लिए यह भूल गया,
कि परी को फिर उड़ जाना था.

बस परी का दामन छूटते ही,
वह गम का दिया फिर बुझ सा गया.

उस गम के दिए को  आस रहा,
उस परी के वापस आने की.

पर भूल गया की  परी है वो,
और तू एक गम का दीया है.

उस परी के नाम में ममता थी,
उस की चिंगारी भी ममता थी

संतोष है उस की ममता पर,
मुझपर जो वह न्योछावर की.

और दुआ है मेरी ईश्वर से,
उस ममता को संतोष मिले.

                                    ****** पिंटू ******

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